10 June, 2011

दिल्लगी

ये दिल की लगी हैं, इसे दिल्लगी क्यूँ कहते हो
दिल के इतने करीब आकर भी, हमसे दूर क्यूँ रहते हो

-योगेश ’अर्श’

No comments:

Post a Comment