19 June, 2017

मुझे उसकी, उसे मेरी कोई खबर नही
हमराह है वो मेरा मगर हमसफर नही

योगेश 'अर्श'

बारीश

नए मौसम की पहली बारिश हुई है आज
फिर उनसे मिलने की ख्वाहिश हुई है आज

यूँही कुरेदकर पुराने जख्मों को फिरसे
खुदको रुलाने की साजिश हुई हैं आज

ना नाम जुबां पे आया, ना आँख से आँसू बहे
यूँ भी मेरे इश्क़ की आजमाईश हुई है आज

दिलकी हसरतों को जाहिर जो किया हमने
तो खुलके नफरतों की नुमाईश हुई है आज

क्या क्या सोचा था की कहेंगे उनसे मगर
हमसे चुप रहने की गुजारिश हुई है आज

मेरे इश्कमे ज्यादा असर है या नफरतों में तेरी
फिरसे ये आजमाने की कोशिश हुई है आज

योगेश 'अर्श'