10 July, 2009

दिल्लगी

दोस्तो,

प्यार में दो प्रेमीयों के बीच हँसी-मजाक तो चलता ही रहता हैं। फिर उसमे हल्कीसी छेडखानी, रुठना, मनाना सबकुछ होता हैं। सच पुछिये तो इन सब चीजोंसे प्यार की रंगत और बढती ही हैं। और गहराई भी। लेकिन कभी कभी ये दिल्लगी थोडी ज्यादा भी हो सकती हैं जिसकी वजह से मेहबूब की आँखोंमें अश्क भी छलक सकते हैं। अगर कभी ऐसा हो गया तो फिर पुछिये ही मत। अपने रुठे हुए मेहबूब को मनाते मनाते बेचारे आशिक का हाल बेहाल भी हो सकता हैं। आशिक ये समझ नहीं पाता की उसने जाने-अन्जाने में ऐसा क्या कह दिया जिसकी वजह से उसकी मेहबूबा की आँखों में आँसू भर आए। और वो उससे सवाल करता हैं...

पहले तो बेझिझक नजरें मिला ली
फिर क्यु शर्म से तुम्हारी आँखे झुक गई
हमने तो बस जरासी दिल्लगी की थी
फिर क्यु अश्कों से तुम्हारी आँखे भर गयी

-योगेश 'अर्श'

दोस्तो, आपको मेरा ये शेर कैसा लगा ये निचे कॉमेंटमें जरुर लिखीयेगा। आपकी टीका-टिपण्णी का स्वागत ही होगा।

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